*💥योग कनेक्ट, वैश्विक योग सम्मेलन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की गरिमामयी उपस्थिति*
*🌸स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने दिया संदेश अब दुनिया को युद्ध नहीं योग चाहियें*
*💐योग कनेक्ट, वैश्विक योग सम्मेलन में गूंजा ‘एक धरती, एक स्वास्थ्य’ का संदेेश*
*✨विज्ञान भवन दिल्ली में आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित योग कनेक्ट वैश्विक सम्मेलन में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, योगगुरू स्वामी रामदेव जी और विश्व विख्यात विभूतियों की गरिमामयी उपस्थिति*
नई दिल्ली, 14 जून 2025। विज्ञान भवन के भव्य प्रांगण में आज योग कनेक्ट योग सम्मेलन, का आयोजन हुआ। जो योग को वैश्विक संवाद, सहयोग और समरसता का सेतु बनाने की दिशा में एक अनूठा प्रयास है। यह सम्मेलन भारत की योग परंपरा की गौरवपूर्ण अभिव्यक्ति है। साथ ही यह उस जागरूकता और प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है, जो आज पूरी दुनिया में योग और समग्र स्वास्थ्य के लिए देखी जा रही है।
योग कनेक्ट ने योग गुरुओं, नीति निर्माताओं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, सामाजिक प्रभावकों और विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाकर योग के आधुनिक स्वरूप, वैश्विक प्रभाव और भविष्य की दिशा पर व्यापक संवाद का अवसर प्रदान किया। यह एक दिवसीय सम्मेलन अपनी गहराई, विविधता और संदेश में अत्यंत व्यापक रहा।
सम्मेलन का उद्घाटन सत्र योग फार वन अर्थ, वन हैल्थ विषय पर केंद्रित रहा, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, विख्यात योग गुरू स्वामी रामदेव जी, योगाचार्य हंसा योगेन्द्र जी, आयुष राज्य मंत्री श्री प्रताप राव जाधव जी, श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत (संस्कृति व पर्यटन मंत्री), माननीय सचिव, श्री वैद्य राजेश कोटेजा जी, श्री सुबोध तिवारी जी, मोनालिसा दास जी, श्री राधवेन्द्र राव जी और सहित कई गणमान्य विभूतियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। सभी विभूतियों ने दीप प्रज्वलित कर योग कनेक्ट सम्मेलन का शुभारम्भ किया।
सम्मेलन का एक प्रमुख आकर्षण योग प्रभाव रिपोर्ट का विमोचन, जिसमें पिछले 10 वर्षों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रभाव, सामाजिक जागरूकता और व्यक्तिगत जीवन में आए परिवर्तनों को दर्शाया गया। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि कैसे योग ने न केवल शरीर और मन को जोड़ा, बल्कि जन-जन को संस्कार, संयम और सत्कर्म की दिशा में प्रेरित किया।
इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज हम योग कनेक्ट सम्मेलन में एकत्र नहीं एकजुट हुये हैं। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि आत्मिक शांति, वैश्विक सौहार्द और समग्र एकता का प्रतीक है। जब दुनिया विभिन्न संघर्षों और विघटन के दौर से गुजर रही है, तब भारत की पावन धरती से योग के माध्यम से यह संदेश जाना चाहिए कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं, योग ही जीवन जीने का मार्ग है।
आज विश्व टुकड़ों में बंटा हुआ है, पीसेस में है परंतु हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता है पीस (शान्ति) की। यह हमारे हाथ में है कि हम टुकड़ों में बिखरे रहें या एकजुट होकर शांति का मार्ग चुनें। योग यही सिखाता है एकत्व, संतुलन और समरसता के साथ जीना।
हम एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के युग में प्रवेश कर चुके हैं, जहाँ तकनीक तीव्रता से जीवन को बदल रही है परंतु भारत की जड़ें आरआई (ऋषि इंटेलिजेंस) में हैं, जो आत्मज्ञान, विवेक और संवेदनशीलता पर आधारित है। योग इन दोनों के बीच एक सशक्त सेतु है, जो आधुनिकता को मूल्यों से जोड़ता है इसलिए योग को अपनाना न केवल हमारे शरीर और मन के लिए आवश्यक है, बल्कि एक वैश्विक शांति आंदोलन के रूप में भी इसे आगे बढ़ाना समय की पुकार है।
स्वामी रामदेव जी ने कहा कि योग कोई नया आविष्कार नहीं, अपितु अनादि काल से चली आ रही भारत की ऋषि परंपरा है। यह केवल आसन, प्राणायाम या साधना तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन का अनुशासन है। जब हम अपने शरीर, मन और आत्मा को संयम में रखते हैं, तब वास्तविक योग घटित होता है। शरीर का परिष्कार ही अनुशासन है, और अनुशासन ही योग की आत्मा है।
योग केवल कहने या बोलने का विषय नहीं, वह तो जीने का मार्ग है। यह हमारे आचरण, विचार, व्यवहार और संपूर्ण व्यक्तित्व से प्रकट होना चाहिए। योगी के रोम-रोम से योग झलकना चाहिए, यही उसकी सच्ची अभिव्यक्ति है।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भारत की इस ऋषि-धरोहर को वैश्विक पहचान दिलाई। आज विश्व के कोने-कोने में लोग योग के माध्यम से शांति, स्वास्थ्य और संतुलन पा रहे हैं। आने वाले पाँच वर्षों में लगभग 500 करोड़ लोग योग को अपनाएं, यही हमारी सामूहिक उपलब्धि होगी। हमारी भारत की सरकार योग की नीति से राष्ट्रनीति चला रहे है।
योग हमें केवल स्वयं से नहीं, बल्कि समग्र अस्तित्व, प्रकृति और परमात्मा से जोड़ता है। यह जीवन में संतुलन, समरसता और समर्पण का मार्ग है, जो हर मानव के भीतर छिपे दिव्यता को जाग्रत करता है।
योग कनेक्ट के साथ ही योग बंधन के अंतर्गत भारत आए विदेशी प्रतिनिधियों का योग-आधारित भारतीय संस्कृति में अवगाहन कार्यक्रम भी आरंभ हुआ। यह पहल वैश्विक सांस्कृतिक संवाद को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सम्मेलन में स्वास्थ्य और विज्ञान आधारित चर्चाओं का विशेष स्थान रहा। आईआईटी, एम्स और अन्य चिकित्सा संस्थानों के विशेषज्ञों ने कामन योग प्रोटोकॅाल और योग और इम्यून रेस्पॉन्स जैसे विषयों पर शोध प्रस्तुत किए। योग और नारी स्वास्थ्य, जीवन के प्रत्येक चरण में समग्र सशक्तिकरण विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में नारियों के स्वास्थ्य, मानसिक संतुलन और हार्मोनल संतुलन में योग की भूमिका पर विशेषज्ञों ने विशद् चर्चा की।
योग टेक सत्र में तकनीकी नवाचारों, ऐप्स और डिजिटल समाधानों के माध्यम से योग को जन-जन तक पहुँचाने के उपायों पर विचार साझा किए गए। निजी संस्थानों के प्रतिनिधियों ने यह स्पष्ट किया कि आने वाला समय टेक्नोलॉजी और योग के समन्वय का होगा।
योग केवल साधना नहीं, बल्कि संभावनाओं का क्षेत्र भी है। योग, वाणिज्य, उद्योग और वैश्विक कल्याण सत्र में उद्योग जगत के विशेषज्ञों, स्टार्टअप्स और संस्थानों ने बताया कि किस प्रकार योग आधारित सेवाएं, उत्पाद और डिजिटल प्लेटफॉर्म भारत की अर्थव्यवस्था और विश्व के स्वास्थ्य क्षेत्र में योगदान दे सकते हैं।
स्वामी जी ने सभी विभूतियों को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर धरती योग का संदेश दिया।
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