*💥34 दिवसीय श्रीराम कथा की पूर्णाहुति पर भव्य आयोजन*
*🌸पर्यावरण, संस्कृति व संस्कार संरक्षण का लिया गया महासंकल्प*
*☘️धरती केवल धरोहर नहीं, हमारी माता है*
*💐श्रीराम कथा बनी संकल्पों की प्रेरणा*
*🌺श्रीराम कथा केवल कथा नहीं, चरित्र निर्माण की पाठशाला*
*🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के पावन परिसर में आयोजित 34 दिवसीय श्रीराम कथा की पूर्णाहुति एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय चेतना का अद्वितीय संगम है। इस अवसर पर देशभर से पधारे श्रद्धालुओं, संतों, पर्यावरणविदों और समाजसेवियों ने एक माह तक धर्म और भक्ति का संदेश दिया और श्रद्धालुओं ने इन दिव्य संदेशों व उद्बोधनों का रसास्वादन किया, वहीं प्रकृति, संस्कृति और संस्कारों की रक्षा हेतु दिव्य संकल्प भी लिए।
अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में यह आयोजन और भी विशेष बन गया क्योंकि 17 जून को संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस भी मनाया गया, जिसकी इस वर्ष की थीम है “भूमि का पुनरुद्धार करें, अवसरों के द्वार खोलें।” इस अवसर पर “माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः” मंत्र गुंजायमान हुआ, जिसने सबको धरती के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाई।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज की प्रेरणा से आयोजित इस श्रीराम कथा का उद्देश्य केवल आध्यात्मिक लाभ नहीं था, बल्कि इसके माध्यम से जनमानस में पर्यावरण के प्रति जागरूकता, जीवन में मूल्यों का समावेश और सेवा के भाव का विस्तार करना था।
पूर्णाहुति के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने पौधा रोपण का संकल्प लिया। कई परिवारों ने अपने जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ और विशेष दिनों को पौधारोपण और पर्यावरण सेवा से जोड़ने का संकल्प किया।
परमार्थ निकेतन में आयोजित 34 दिवसीय श्रीराम कथा में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क विश्राम, शुद्ध सात्विक भोजन, चिकित्सा सुविधा और मौलिक आवश्यकताओं की व्यवस्था की गई। यह आयोजन सेवा और समर्पण की जीवंत मिसाल है।
श्रद्धालुजन प्रतिदिन श्रीराम जय राम की प्रभात फेरी, गंगा स्नान, ध्यान व योग सत्र, दिव्य श्रीराम कथा श्रवण, पूज्य संतों का उद्बोधन और संध्याकालीन गंगा आरती में सहभाग कर एक दिव्य और संतुलित जीवनशैली की अनुभूति करते रहे।
श्रीराम कथा जीवन निर्माण, चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण की शिक्षा देने वाला एक प्रेरणादायी मंच रहा। कथा में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श, त्याग, नारी सम्मान, सेवा और करुणा के भाव ने सभी को भावविभोर कर दिया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के सान्निध्य में यह आयोजन आध्यात्मिक ऊँचाइयों के साथ सेवा, शिक्षा, स्वच्छता, संस्कार और सतत विकास का संदेश सभी को प्राप्त हुआ।
स्वामी जी ने कहा, आज धरती केवल दोहन का साधन बन गई है। हमें ‘माता भूमिः’ को केवल मंत्र नहीं, जीवन का व्यवहार बनाना होगा। जल, जंगल, जमीन इनका सम्मान ही जीवन का सम्मान है। यही श्रीराम जी का संदेश है, यही सनातन धर्म का मूल भी है।
स्वामी जी ने कहा कि मरुस्थलीकरण रोकना अर्थात मानवता को बचाना है। मरुस्थलीकरण और सूखा आज न केवल पर्यावरणीय समस्या है, बल्कि यह आर्थिक, सामाजिक और नैतिक संकट बन चुका है। ऐसे में यह दिवस हमें स्मरण कराता है कि यदि हमने आज भूमि को पुनर्जीवित नहीं किया, तो आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संकटग्रस्त हो जाएगा।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा, पर्यावरण की रक्षा और भूमि का पुनरुद्धार केवल वैज्ञानिकों की जिम्मेदारी नहीं, यह हम सबकी साझी जवाबदारी है। जब हम श्रीराम की कथा सुनते हैं, तो यह केवल धर्म की नहीं, प्रकृति प्रेम की भी कहानी है। श्री रामजी वन में रहे, प्रकृति के साथ जुड़े और उसे सम्मान दिया। हमें भी प्रकृति के साथ जुड़ना होगा।
श्रीरामकथा के अंतिम दिन कथा व्यास संत मुरलीधर जी ने भावविभोर होकर कहा, गंगा माँ के पावन तट पर, पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के दिव्य सान्निध्य में कथा गाना मेरे लिए केवल एक आयोजन नहीं बल्कि जीवन की सबसे पवित्र साधना है।
उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन जैसी तपोभूमि में कथा कहना ऐसा ही है जैसे भगवान राम के चरणों में बैठकर उनका गुणगान करना। यहाँ की शांति, सेवा और संस्कारमयी ऊर्जा, हर शब्द को मंत्र बना देती है।
संत मुरलीधर जी ने कहा कि स्वामी जी के नेतृत्व में जो पर्यावरण, संस्कृति और सेवा का संगम यहाँ घटित हो रहा है, वह आज की युवा पीढ़ी के लिए एक जीवंत मार्गदर्शन है।
उन्होंने परमार्थ परिवार, आयोजकों और सभी भक्तों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि श्रीरामकथा तो एक माध्यम है, लेकिन उसका उद्देश्य है जीवन में मर्यादा, करुणा, सेवा और सत्य की स्थापना करना। उन्होंने यह भी कहा कि वे हर वर्ष यहाँ कथा करने की प्रार्थना करेंगे, क्योंकि यह स्थल केवल कथा का नहीं, आत्मा के जागरण का तीर्थ है।
यह 34 दिवसीय श्रीराम कथा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि वह जन-जागरण अभियान है। जिसने हजारों लोगों को पर्यावरण सेवा, भूमि संरक्षण और जीवन के मूल्यों से जोड़ा। श्रीरामजी के आदर्शों से प्रेरणा लेकर यह आयोजन समाज में संस्कारों, संस्कृति और संवेदनशीलता का बीजारोपण है।
आज जब पूरी दुनिया मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम की बात कर रही है, भारत की श्रीराम कथा इस वैश्विक लक्ष्य को आध्यात्मिक ऊर्जा दे रही है। आइए, हम संकल्प लें पेड़ लगाएं, जल बचाएं, भूमि को पुनर्जीवित करें। यही है श्रीराम जी के आदर्शों का पालन, यही है सच्चा सनातन।
इस अवसर पर श्री शंकर जी कुलरिया, श्री धर्म जी कुलरिया, पूरा कुलरिया परिवार सिग्नेचर ग्रुप से श्री देवेन्द्र जी तथा 34 दिनों तक श्रीराम कथा के यजमान रहे कई परिवारों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
More Stories
जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉक्टर भैसोड़ा के निर्देशन में 2-11GR भारतीय सेना पिथौरागढ़ में योग सत्र का आयोजन किया गया
नाबालिग बालिका अपहरण मामले में पुलिस का कड़क एक्शन
आगामी कावड़ मेले के दृष्टिगत होटल/ढाबो/ठेली संचालको संग गोष्ठी आयोजित