*🇮🇳राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस*
*💥भारत के वैज्ञानिकों के सामथ्र्य और गौरव का अद्भुत पर्व*
ऋषिकेश। आज का दिन भारत के लिए एक ऐतिहासिक संकल्प की पुनः स्मृति है। 23 अगस्त वर्ष 2023 को भारतीय वैज्ञानिकों ने वह करिश्मा कर दिखाया, जिसने सम्पूर्ण विश्व को भारत के अदम्य साहस, शोध क्षमता और वैज्ञानिक प्रतिभा का लोहा मानने के लिए बाध्य कर दिया। आज के दिन ही चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग कर भारत का नाम वैश्विक अंतरिक्ष इतिहास के स्वर्णाक्षरों में अंकित कर दिया।
यह सफलता मात्र एक वैज्ञानिक उपलब्धि ही नहीं थी, बल्कि यह नए भारत के आत्मविश्वास, सामथ्र्य और वैश्विक नेतृत्व की उद्घोषणा भी थी। भारत विश्व का पहला राष्ट्र बना जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुप पर सॉफ्ट लैंडिंग की। यह मिशन भारत के वैज्ञानिकों की निष्ठा, तपस्या और राष्ट्रप्रेम का जीता-जागता उदाहरण है।
इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के सम्मान में आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 23 अगस्त को “राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया। आज दिन हर भारतीय के लिए प्रेरणा का पर्व है जो हमें यह स्मरण कराता है कि सीमित संसाधनों के बावजूद अनंत परिश्रम और असीम संकल्प से असंभव भी संभव बन सकता है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस हमारे वैज्ञानिकों के अभिनंदन का अवसर है, यह 75 वर्षों की स्वतंत्रता के उपरांत आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का भी प्रतीक है। इसरो के वैज्ञानिकों ने जिस समर्पण के साथ कार्य किया, वह भारतीय संस्कृति के “कर्मयोग” की अद्भुत मिसाल है। दिन-रात की साधना, कठिन परिस्थितियों में धैर्य और निरंतर प्रयास ने चंद्रयान-3 को ऐतिहासिक सफलता दिलाई। भारत के वैज्ञानिकों ने यह दिखाया कि भारत केवल विज्ञान का उपभोक्ता नहीं, बल्कि वैश्विक विज्ञान का निर्माता और मार्गदर्शक भी है।
चंद्रयान-3 की सफलता के साथ भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हुआ, जिन्होंने चंद्रमा की सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की है। परंतु दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का गौरव केवल भारत को प्राप्त हुआ। यह उपलब्धि भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करती है।
आज भारत न केवल अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए विख्यात है, बल्कि विश्वभर के राष्ट्रों के लिए एक विश्वसनीय साझेदार और प्रेरणास्रोत बन चुका है। यह दिन हर भारतीय को स्मरण कराता है कि हमारे वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारत विश्व पटल पर नई ऊँचाइयाँ छू रहा है। युवा पीढ़ी को यह दिवस प्रेरित करता है कि वे विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शोध में अपनी प्रतिभा लगाएँ और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान दें।
भारत की वैज्ञानिक प्रगति केवल आधुनिक प्रयोगशालाओं का परिणाम नहीं है, बल्कि यह हमारे सनातन संस्कारों और ऋषि-परंपरा की विरासत से जुड़ा है। हमारे वेदों और उपनिषदों में भी ब्रह्मांड, ग्रहों और खगोल विज्ञान का गहन विवेचन मिलता है। चंद्रयान-3 की सफलता इसी ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का अद्भुत संगम है।
आइए, इस पावन अवसर पर हम सभी उन महान वैज्ञानिकों का अभिनंदन करें, जिन्होंने राष्ट्र को “अंतरिक्ष की ऊँचाइयों तक पहुँचाने” का मार्ग दिखाया। यह दिवस हर भारतीय के लिए गौरव, कृतज्ञता और प्रेरणा का पर्व है।
More Stories
थराली में युद्धस्तर पर जारी राहत एवं बचाव अभियान
मुख्यमंत्री धामी जी के निर्देशानुसार थराली क्षेत्र में आपदा राहत कार्य तेज गति से चल रहे
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचे सीएम धामी