September 25, 2025

परमार्थ निकेतन में आयोजित गंगा जी के प्रति जागरूकता और आरती प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन

*💥परमार्थ निकेतन में आयोजित गंगा जी के प्रति जागरूकता और आरती प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन*

*🌺उत्तरप्रदेश के 7 जिलों के 15 घाटों के 30 पुरोहितों ने किया सहभाग*

*🌸परमार्थ निकेतन, जल शक्ति मंत्रालय, नमामि गंगा और अर्थ गंगा के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित या 10 वीं प्रशिक्षण कार्यशाला*

*💦गंगा जी की स्वच्छता ही हमारा धर्म*

*🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

*💫गंगा जी की प्रत्येक बूँद अमूल्य है और उन्हें बचाना हम सबका कर्तव्य*

*🙏🏾साध्वी भगवती सरस्वती*

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन आश्रम में गंगा जी के संरक्षण, जन-जागरूकता एवं सांस्कृतिक संवर्धन के उद्देश्य से आयोजित 10वीं गंगा आरती प्रशिक्षण कार्यशाला का सफलतापूर्वक समापन हुआ। यह कार्यशाला जल शक्ति मंत्रालय, नमामि गंगे, अर्थ गंगा अभियान एवं परमार्थ निकेतन के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुई। इसमें उत्तर प्रदेश के 7 जिलों के 15 घाटों से आए 30 पुरोहितों ने सक्रिय रूप से सहभागिता की।

गंगा आरती, धार्मिक अनुष्ठान के साथ हमारे जीवन और संस्कृति का आध्यात्मिक उत्सव है। दीपों की लौ से सज्जित आरती नदियों और प्रकृति के प्रति हमारी श्रद्धा का प्रतीक है। गंगा आरती के माध्यम से हम यह संदेश देते हैं कि गंगा केवल जलधारा नहीं, बल्कि हमारी जीवनधारा है और आरती हमें हमारी आस्था के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों से जोड़ती है। आरती हमारे और प्रकृति के बीच, धर्म और विज्ञान के बीच, तथा संस्कार और संस्कृति के बीच की अद्भुत कड़ी है।

आज जब नदियों का अस्तित्व प्रदूषण और अतिक्रमण से संकट में है, तब यह आवश्यक है कि गंगा आरती केवल एक परम्परा न होकर, जन-जागरूकता का सशक्त माध्यम बने। इस प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्देश्य यही था कि घाटों पर आरती कराने वाले पुरोहित न केवल शुद्धता और शास्त्रीय विधि से आरती संपन्न करें, बल्कि आरती के साथ-साथ जनमानस को संदेश दें, गंगा की स्वच्छता हमारी जिम्मेदारी है, जल ही जीवन है और जल संरक्षण ही आने वाली पीढ़ियों का भविष्य है।

भारतीय परंपरा में पुरोहित केवल पूजा-पाठ करने वाले आचार्य नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने वाले पथप्रदर्शक माने जाते हैं। गंगा तटों पर बैठने वाले ये पुरोहित प्रतिदिन अनेक श्रद्धालुओं से मिलते हैं। उनके शब्द और संस्कार सीधे जनमानस तक पहुँचते हैं। यही कारण है कि यदि वे अपने अनुष्ठानों के माध्यम से गंगा जी की स्वच्छता, जल संरक्षण और पर्यावरण रक्षा का संदेश देंगे तो उसका प्रभाव गहरा और दीर्घकालिक होगा। पुरोहित न केवल धार्मिक आचार्य, बल्कि धरती और पर्यावरण के वास्तविक संरक्षक भी बन सकते हैं।

इस प्रशिक्षण में पुरोहितों को गंगा जी की आरती की शास्त्रीय पद्धति, स्वर-साधना, और सामूहिक स्तुति के साथ-साथ पर्यावरण संदेशों को आरती में समाहित करने की विधि सिखाई गई। साथ ही उन्हें गंगा संरक्षण से जुड़े तथ्यों, नमामि गंगे एवं अर्थ गंगा अभियानों की जानकारी भी दी गई।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि मां गंगा केवल नदी नहीं, माँ है। गंगा जी का भी संदेश है सेवा, सहयोग और संस्कार। जब घाटों पर बैठने वाले पुरोहित गंगा जी की आरती के माध्यम से यह संदेश देंगे कि गंगा जी की स्वच्छता ही हमारा धर्म है, तब यह आंदोलन एक जन-जन का आंदोलन बन जाएगा और आरती का दीपक केवल गंगा जी के तटों को ही आलोकित नहीं करेगा बल्कि यह संपूर्ण समाज को नई चेतना और नई दिशा प्रदान करेगा।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि मां गंगा हमारी संस्कृति की आत्मा और भारत की श्वास है। यदि मां गंगा स्वच्छ रहेगी तो भारत स्वस्थ रहेगा। जल केवल उपयोग की वस्तु नहीं, बल्कि ईश्वर का अमृत प्रसाद है। गंगा जी की प्रत्येक बूँद अमूल्य है और उन्हें बचाना हम सबका कर्तव्य है।

इस 10वीं कार्यशाला के समापन अवसर पर प्रतिभागी पुरोहितों ने संकल्प लिया कि वे अपने-अपने घाटों पर जाकर आरती को स्वच्छता, जल संरक्षण और जन-जागरूकता का अभियान बनाएंगे।

परमार्थ निकेतन, नमामि गंगे और अर्थ गंगा के संयुक्त प्रयास से यह कार्यशाला एक नई दिशा का संदेश देती है कि गंगा हमारी आस्था ही नहीं, हमारी अस्मिता भी है।