ऋषिकश। सरदार वल्लभभाई पटेल जी के जन्मदिवस के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि सरदार पटेल भारत के सरदार, असरदार और अद्भुत शिल्पकार थे, यदि वे भारत के प्रधानमंत्री होते तो नक्शा कुछ और होता। सरदार पटेल जी ने रियासतों का एकीकरण ही नहीं किया बल्कि भारतीयों के दिलों का भी एकीकरण किया।
अखण्ड भारत के निर्माता, भारत रत्न, देश को कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक माला में पिरोने वाले लौह पुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल जी के जन्मदिवस ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के अवसर पर आईए राष्ट्र की एकजुटता के संकल्प लें।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि भारत में राजनेता; राजनीतिज्ञ हैं और थे परन्तु राष्ट्रीय एकता के लिये नेतृत्व करने वाले मेरी दृष्टि से केवल सरदार पटेल ही ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने एकता की अद्भुत मिसाल कायम की। वे एकता के नीतिज्ञ थे, वे स्वयं राष्ट्र की सेवा में समर्पित थे और उन्होंने अपनी व्यवहार कुशलता और कुशाग्रता के बल पर देशी रियासतों के एकीकरण का प्रबंधन किया। उन्होने दूरदर्शिता के बल पर भारत जैसे लोकतांत्रिक देश की 562 स्वतंत्र रियासतों के विलय का अत्यंत जटिल और संवेदनशील कार्य अपने हाथों में लिया। रियासतों के मालिकों को देशभक्ति और राष्ट्रीय संवेदना के प्रति सजग करते हुये सभी से देश हित में कार्य करने का आह्वान किया।
सरदार पटेल जी ने राष्ट्रीय अखंडता और एकता हेतु महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारत रत्न, भारत के प्रथम गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारतीय राष्ट्र को एक संघ बनाने तथा भारतीय रियासतों के एकीकरण में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। भारत को एक भारत और एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने में उन्होने महत्वपूर्ण योगदान दिया। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि वास्तव में सरदार पटेल भारत की एकजुटता के वास्तविक सूत्रधार थे। आज भी भारत को और भारत की युवा पीढ़ी को सरदार पटेल जैसे नेतृत्व की आवश्यकता है।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने देश के युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि राष्ट्र है तो हम है, हमारे राष्ट्र ने, हमारी मातृभूमि ने हमें बहुत कुछ दिया है, अब हम सब की बारी है। ’देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखें।’ हमारे पूर्वजों ने राष्ट्रीयता, राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र के प्रति संवेदना से युक्त संस्कारों का रोपण बड़ी ही सजगता से किया है, अब उस देशभक्ति के बीज को हर भारतवासी के हृदय में विकसित करना हैं ताकि वह विशाल वटवृृक्ष के रूप में विकसित होकर आगे आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करता रहे।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि सरदार पटेल ने यह संदेश दिया कि हृदय में अगर राष्ट्रप्रेम की भावना हो तो उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम को एकता के सूत्र में बांधना मुश्किल नहीं है।
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