देहरादून।
कोरोना संक्रमण के कारण अनाथ बच्चों के संरक्षण के लिए बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग ने कदम उठाए हैं। आयोग ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह कोरोना संक्रमण के कारण माता-पिता के भर्ती होने की स्थिति में बच्चों का विवरण भी दर्ज करे। उनकी व उनके बच्चों की देखभाल करने वाले व्यक्तियों का भी रिकॉर्ड रखे। आयोग ने डीजीपी अशोक कुमार और जिलाधिकारी डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव को भी इस संबंध में निर्देशित किया है।
बीते दिनों आयोग के पास ऊधमसिंह नगर, बागेश्वर से ऐसे में मामले आए, जिसमें माता-पिता की कोरोना से मौत के बाद बच्चे अनाथ हो गए। इस तरह के बच्चों को शीघ्र संरक्षण मिले, इसी प्रयास के साथ बाल आयोग ने संरक्षण को कदम उठाया है। आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बताया कि कई बार अनाथ बच्चों की देखभाल सही से नहीं हो पाती या स्वजन उन्हें अनदेखा करने लगते हैं। ऐसे में उन्हें बेहतर माहौल दिलाने और सही देखभाल के लिए हेल्पलाइन 104 और स्वास्थ्य विभाग के संजीवनी पोर्टल से भी जोड़ जाएगा। इसी क्रम में माता-पिता के अस्पताल में भर्ती होने पर उनकी व बच्चों की देखभाल करने वाले व्यक्ति का नाम, पता, फोन नंबर आदि जानकारी अस्पताल अपने पास रखेगा और जरूरत पडने पर आयोग को उपलब्ध कराएगा। इसके अलावा पुलिस और जिला प्रशासन अनाथ बच्चों की जानकारी व संरक्षण को लेकर मदद करेंगे। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बताया कि कोरोनाकाल में अनाथ बागेश्वर की बालिका के संरक्षण को लेकर डीएम से मांगी रिपोर्ट मांगी गई है। जो अगले सप्ताह तक प्राप्त हो जाएगी। गौरतलब है कि आयोग ने सात मई को इंटरनेट मीडिया से मिली इस घटना की सूचना का संज्ञान लिया है। जिसमें यह पाया गया कि बागेश्वर में कपड़ों की दुकान चलाने वाले व्यापारी की कोविड अस्पताल के आइसीयू में मौत हो गई, यह खबर सुनकर स्वजन अस्पताल पहुंचे और चार घंटे बाद उनकी पत्नी की भी मौत हो गई थी।
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