November 24, 2024

ऋषिकुल जम्बो साइट पर तीन लाख से भी अधिक लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीन की प्रथम एवं द्वितीय डोज़ लगाई गयी

हरिद्वार। जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय के निर्देशन, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. कुमार खगेन्द्र सिंह के मुख्य संयोजन एवं नगरीय क्षेत्र हरिद्वार वैक्सीनेशन के नोडल अधिकारी/रेडक्रॉस सचिव डॉ. नरेश चौधरी के संयोेजन में जनपद हरिद्वार में फ्रंट लाइन वर्करस, हेल्थ वर्करस, वरिष्ठ नागरिकों (गंभीर बीमारियों से ग्रसित), विधानसभा चुनाव में कार्यरत अधिकारियों, कर्मचारियों को ऋषिकुल कोविड-19 वैक्सीनेशन जम्बो साइट्स पर कोविड-19 की प्रीकोशन डोज़ तथा 15 से अधिक सभी आयु वर्ग के वंचित लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीन की प्रथम एवं द्वितीय डोज़ लगाने का अभियान जोर-शोर से चल रहा है। कोविड-19 वैक्सीनेशन ऋषिकुल जम्बो साइट पर तीन लाख से भी अधिक लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीन की प्रथम एवं द्वितीय डोज़ लगाई गयी जो कि उत्तराखण्ड ही नहीं सम्पूर्ण भारत में एक रिकार्ड है कि एक ही वैक्सीनेशन सेन्टर पर इतनी बडी संख्या में विभिन्न आयु वर्ग के लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीन लगाकर कोरोना से सुरक्षित किया गया है। वैक्सीनेशन कार्य को आज एक वर्ष पूर्ण हो गया है। जनपद हरिद्वार में आठ जनवरी 2021 को कोविड-19 वैक्सीनेशन के लिये रेडक्रॉस सचिव डॉ. नरेश चौधरी की पहल पर ही ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय को साइट बनाकर “ड्राई रन” किया गया। इसके बाद 16 जनवरी 2021 को भी हरिद्वार जनपद में सबसे पहले वैक्सीनेशन साइट ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय को ही बनाया गया। प्रथम दिन जब वैक्सीनेशन के प्रति जनसमाज में एक विशेष भय था, वैक्सीन लगवाने से कोई दुष्प्रभाव न हो जाये इस प्रकार की अनेको भ्रांतियां थी तब सर्वप्रथम प्रथम लाभार्थी के रूप में रेडक्रॉस सचिव डॉ. नरेश चौधरी ने स्वयं को वैक्सीन लगवाई तथा एक समाज को एक संदेश दिया कि वैक्सीन सेन्टर का नोडल अधिकारी वैक्सीन लगवाने से पूर्णतः स्वस्थ्य है एवं कोई भी दुष्प्रभाव नही है। डॉ. नरेश चौधरी के साथ अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने भी वैक्सीन लगवाकर अन्य सभी लाभार्थियों को भी प्रेरित किया कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से बचने के लिये कोविड-19 वैक्सीन ही एकमात्र बचाव है। हेल्थ वर्करस, फ्रंट लाईन वर्करस को वैक्सीन लगने के बाद कुम्भ मेले में कार्य करने वाले विभागों के अधिकारियों कर्मचारियों, पुलिस एवं अर्द्धसैनिक बल, साधु-संतों, स्वयं सेवकों, वरिष्ट नागरिक एवं 45 वर्ष से अधिक आयु के लाभार्थियों को वैक्सीन लगवाना भी एक चुनौतिपूर्ण कार्य था जिसका दायित्व भी रेडक्रॉस सचिव डॉ. नरेश चौधरी को दिया गया। जिसके अन्तर्गत डॉ. नरेश चौधरी ने ऋषिकुल जम्बो सेंटर पर पन्द्रह से भी अधिक वैक्सीनेशन साइट बनाकर प्रतिदिन उपलब्ध वैक्सीन अनुसार सभी लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीन लगवाकर शत-प्रतिशत लक्ष्य पूर्ण किया। इसके बाद 18 से अधिक आयु वर्ग के लाभार्थिैयों को भी ऋषिकुल जम्बो सेन्टर पर वैक्सीन लगाकर नए-नए रिकार्ड बनाए।

कोरोना के द्वितीय लहर के दौरान औद्योगिक क्षेत्र के विभिन्न कंपनियों में कार्यरत हजारों कर्मचारियों को भी वैक्सीन लगाना एक बड़ी चुनौती थी जिसको डॉ. नरेश चौधरी ने अपने स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए बडी कर्मठता एवं कर्तव्यनिष्ठा से पूर्ण किया जिसमें एक-एक दिन में देर रात्रि तक पांच हजार तक लाभार्थियों को भी कोविड-19 वैक्सीन लगाई गयी जो कि एक दिन में एक वैक्सीनेशन सेन्टर पर वैक्सीन लगाने का रिकार्ड है। वर्तमान में 15 से अधिक आयु वर्ग के सभी लाभार्थियों तथा प्रीकोंशन डोज़ के लिए पात्र लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीन हर समय 24X7 ऋषिकुल की जम्बो साइट पर लगाई जा रही है। डॉ. नरेश चौधरी के वैक्सीनेशन कार्यों की ऋषिकुल जम्बो साइट पर यह भी सराहनीय पहल की विशेषता रही कि चलने-फिरने में असमर्थ लाभार्थी को अपने ही वाहन से घर से लाकर वाहन में ही वैक्सीन लगवा देना एवं वापिस घर छोडना (ड्राइव व्हील) जिसको अन्य प्रान्तों ने बाद में मॉडल के रूप में अपनाया और नीती आयोग की टीम ने ऋषिकुल जम्बो सेंटर्स को सम्पूर्ण भारत का उत्कृष्ठ वैक्सीनेशन सेन्टर करार दिया। वैक्सीनेशन कार्य के एक वर्ष पूर्ण होने में डॉ. नरेश चौधरी की एक मार्मिक व्यथा भी है कि आज ही के दिन उनकी माताश्री का स्वर्गवास हो गया था तब से डॉ. नरेश चौधरी ने अपनी मां के आशीर्वाद से संकल्प लिया था कि “वे पूर्ण मनोयोग से जनसमाज की समर्पित भावना से सेवा करते रहेंगें तथा जनसमाज की सेवा करने के लिये उन्हें जो भी चुनौतीपूर्ण कार्य मिलेंगें वे उन्हें पूरा करने के लिये अपनी सम्पूर्ण शक्ति लगा देंगे।” जैसा कि सम्पूर्ण वर्ष में एक दिन का भी अवकाश लिए बिना, रविवारों एवं विभिन्न त्यौहारों में भी उत्कृष्ठ वैक्सीनेशन कार्य कर के एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसकी सम्पूर्ण जनसमाज में जगह-जगह सराहना हो रही है।

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