November 24, 2024

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और केन्द्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री, भारत सरकार श्री गजेन्द्र सिंह शोखावत जी हुई दिव्य भेंट वार्ता

*🌸पर्यटन विविधता में एकता का ही एक उत्सव*

*🙏🏻स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

ऋषिकेश, 19 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और केन्द्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री, भारत सरकार, श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी की दिल्ली में दिव्य भेंटवार्ता हुई। इस महत्वपूर्ण अवसर पर दोनों विभूतियों ने समाज और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की।

प्रयागराज महाकुम्भ में परमार्थ निकेतन द्वारा आयोजित योग महाकुम्भ, संस्कृति महाकुम्भ, चिंतन महाकुम्भ के विषय में विशेष चर्चा हुई। कुम्भ महापर्व के पावन अवसर पर संगम के तट से संगम व संयम का संदेश पूरे विश्व में प्रसारित करने पर भी विशेष चर्चा हुई ताकि न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में समरसता और सद्भाव का संदेश प्रसारित हो सके।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि माननीय श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी ने जल शक्ति मंत्रालय के माध्यम से जल, नदियों व जलस्रोतों के संरक्षण व उन्हें प्रदूषण मुक्त रखने के लिये अद्भुत कार्य किया और वर्तमान समय में योग, संस्कृति, पर्यटन, सांस्कृतिक धरोहर व विरासत को संरक्षित रखने हेतु भी अद्भुत कार्य किया जा रहा है ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ, सुन्दर व संस्कार युक्त वातावरण मिल सके।

स्वामी जी ने कहा कि भारत के पर्यटन को वैश्विक रूप से बढ़ावा देने के लिये एक-दूसरे की संस्कृति को आपस में साझा करना नींव का पत्थर साबित हो सकता है। पर्यटन को वैश्विक रूप से बढ़ाने के लिये हमें सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक मूल्यों को बढ़ाने के साथ आपसी भाईचारे को विकसित करना होगा।

उन्होने कहा कि हम पर्यटन के माध्यम से आज की वैश्विक समस्याओं यथा प्रदूषित और घटता जल स्तर, पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिग जैसी अनेक समस्याओं पर खुलकर चर्चा की जा सकती है तथा इन समस्याओं के समाधान के लिये पर्यटन को एक सशक्त माध्यम के रूप में उपयोग करना बेहतर होगा। वैश्विक पर्यटन के माध्यम से हम विश्व की संस्कृतियों को आपस में जोड़कर विविधता में एकता को विकसित कर सकते है। वास्तव में देखा जाये तो पर्यटन विविधता में एकता का ही एक उत्सव है। आध्यात्मिक पर्यटन के माध्यम से हम वैश्विक समस्याओं का समाधान करते हुये वैश्विक शान्ति के मार्ग को प्रशस्त कर सकते हैं, इस बार तो पर्यटन दिवस की थीम भी:पर्यटन व शान्ति’ है।

स्वामी जी ने कहा कि भारत का पर्यटन केवल मनोरंजन का केन्द्र नहीं है बल्कि यह आध्यात्मिकता, योग, ध्यान और दिव्यता से युक्त पर्यटन है। अब हमें हरित तीर्थाटन और हरित पर्यटन के साथ स्वच्छ तीर्थ और हरित तीर्थ के विकास पर भी ध्यान देना होगा क्योंकि वहीं तीर्थ और मेले सार्थक हैं जो समाज को नई दिशा देते हैं। अतः कुम्भ में आकर श्रद्धालु एक नई चेतना लेकर जाये।

श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी का जीवन और उनके कार्य हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। जब मैं जल शक्ति मंत्रालय के माध्यम से कार्य कर रहा था तब भी समय-समय पर उनका मार्गदर्शन प्राप्त होता था। आज भी स्वामी जी ने संस्कृति के संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा और स्थायी पर्यटन के लिए विभिन्न योजनाओं पर विचार-विमर्श किया। वास्तव में पूज्य संतों का मार्गदर्शन सदैव ही समाज को दिशा प्रदान करने वाला होता है।

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