ऋषिकेश।आज विश्व दयालुता दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि हमारे प्रत्येक कार्य और अभ्यास को पृथ्वी की देखभाल करने हेतु समर्पित करना होगा तभी हम अपनी धरती माता को सुरक्षित रख सकते हैं। हम पृथ्वी पर रहते हैं, पृथ्वी है तो जीवन है, उसके बिना हमारा जीवन संभव नहीं हो सकता अतः हमें पृथ्वी के साथ दयालुता युक्त व्यवहार करना ही होगा तथा स्वयं और पृथ्वी के बीच एक सकारात्मक संबंध स्थापित करना होगा।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि हमें यह स्वीकार करना होगा कि ‘पृथ्वी मेरा हिस्सा है और मैं पृथ्वी का हिस्सा हूँ।’ जब हम स्वयं को पृथ्वी के बाहर देखते है तभी उसके साथ शोषण होता है। हमें धरती माता के साथ आध्यात्मिक संबंध स्थापित करना होगा। जब हम पृथ्वी को माँ के रूप में देखेंगे तभी हम उसकी सुरक्षा कर सकते है।
पुज्य स्वामी जी ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण के कारण जब आपदाएँ आती हैं, तो न केवल मानव को पीड़ा होता है बल्कि धरती माँ भी पीड़ित होती है इसलिये हमें अपनी गतिविधियों और व्यवहार को करुणा, प्रेम और सद्भाव के साथ करना होगा क्योंकि पृथ्वी और पर्यावरण ईश्वर की संपत्ति है। हम सभी को चाहे कोई बड़ा हो या छोटा पर्यावरण की समान रूप से जरूरत है अतः पर्यावरण को समृद्ध बनाये रखना तथा उसे प्रदूषित न करना हम सब का परम कर्तव्य है। पृथ्वी माता हम सभी का पोषण अपने बच्चों की तरह करती है हमें भी उसके साथ प्रेम से व्यवहार करना होगा, प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग मानवीय तरीके से करना जरूरी है।
निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करना ही मानवता की सेवा है। दुनिया में ऐसे कई महापुरूष हुये जिन्होंने दूसरों की सेवा के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। आज भारत सहित विश्व की एक बड़ी आबादी गरीबी में जीवन यापन कर रही है। हमारे पास विकास के कई मॉडल हैं, फिर भी हमारे देश की बड़ी आबादी अनेक अभावों के साथ जीवन जी रही है, इसलिये हमें विकास के ऐसे मॉडल की जरूरत है जो हमारी पृथ्वी और प्रकृति के अनुरूप हो तभी आज का दिवस मनाने की सार्थकता है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को गरिमापूर्ण जीवन देने, समाज के हर वर्ग और प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार करने हेतु भारतीय सनातन संस्कृति का सूत्र सेवा ही साधना है को अंगीकार करना होगा। आईये हम सभी संकल्प लें कि अपने राष्ट्र, समाज और अपनी पृथ्वी की रक्षा के लिये हमेंशा प्रतिबद्ध रहेंगे।
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