हरिद्वार। धर्म संसद को लेकर उठे विवाद पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि धर्म संसद आयोजित कर रहे संत विभिन्न अखाड़ों से ही संबंधित हैं। अखाड़ा परिषद की ओर से संतों को भाषा और आचरण पर नियंत्रण रखने की हिदायत दी गयी है। जिससे समाज में विद्वेष उत्पन्न ना हो। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति अभद्र टिप्पणी करने वाले कालीचरण के विषय में श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि कानून के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। कालीचरण का बयान पूरी तरह निंदनीय है। सभी ने उनकी निंदा की है। ऐसे फर्जी संतों के खिलाफ सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। अखाड़ा परिषद जल्द ही बैठक कर फर्जी संतों की सूची बनाकर उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी साथ ही राज्य सरकारों को भी कार्रवाई के लिए पत्र लिखेगी।
श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में संतों की बैठक के दौरान श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कर्नाटक सरकार द्वारा मठ मंदिरों को अधिगृहण से मुक्त किए जाने के संबंध में कानून बनाए जाने के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा कि अन्य राज्य सरकारों को भी इसका अनुसरण करते हुए मठ मंदिरों को अधिग्रहण से मुक्त करना चाहिए। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि सरकार मठ मंदिरों की कस्टोडियन हो सकती है, मालिक नहीं। सभी राज्य सरकारों को अधिग्रहित मठ मंदिरों को संबंधित संप्रदायों, समितियों को सौंप देना चाहिए। साथ ही केंद्र सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए, जिसमें सभी धर्म संप्रदायों के धर्म स्थलों पर सरकारी नियंत्रण की व्यवस्था हो या फिर सनातन धर्म के धर्मस्थलों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए।
श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि संत समाज ने हमेशा समाज का मार्गदर्शन कर राष्ट्र को नई दिशा प्रदान की है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने के लिए संत समाज को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे।
बाबा बलराम दास हठयोगी ने कहा कि संतों को बोलते समय ध्यान रखना चाहिए कि उनकी वाणी से किसी की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे। संत परंपरा से कोई संबंध नहीं रखने वाले कालीचरण जैसे फर्जी संत अनर्गल बयानबाजी कर सामाजिक सद्भाव खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में सबको बोलने का अधिकार है। लेकिन यदि कोई मन, वाणी, कर्म से किसी की भावनाओं का ठेस पहुंचाता है, तो यह भी एक प्रकार की हिंसा है। इसलिए संतों को बोलते समय मर्यादित भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि मठ मंदिरों को अधिग्रहण से मुक्त करने के लिए अखिल भारतीय संत समिति द्वारा दिल्ली से शुरू किए गए आंदोलन के बाद सरकारों ने सकारात्मक कदम उठाने शुरू किए हैं।
इस अवसर पर महंत अमनदीप सिंह, ज्ञानी महंत खेम सिंह, संत निर्भय सिंह, संत सिमरन सिंह, संत हरजोध सिंह, संत जसकरन सिंह, संत तलविंदर सिंह, संत सुखमन सिंह, संत विष्णु सिंह आदि मौजूद रहे।
More Stories
जिला प्रशासन के प्रयासों से मसूरी को मिलने जा रही है जाम से सहूलियत
शाह ने विकासखण्ड डोईवाला के अन्तर्गत स्थापित उत्तरा एम्पोरियम एवं आई०टी०डी०ए० ग्रोथ सेन्टर ऋषिकेश का भ्रमण किया
यात्रा प्राधिकरण गठित कर आगामी यात्रा की तैयारी में अभी से जुटें अधिकारी – मुख्यमंत्री