देहरादून।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत गंगोत्री सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। यह सीट भाजपा विधायक गोपाल रावत के निधन के बाद से खाली चल रही है। स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की मुख्यमंत्री को गंगोत्री सीट से चुनाव लड़ाने की पेशकश के बाद से संगठन स्तर भी चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि गंगोत्री विधानसभा सीट मुख्यमंत्री के लिए सबसे बेहतर विकल्प है। उन्होंने कहा कि स्थानीय नेता और कार्यकर्ता भी चाहते है कि मुख्यमंत्री गंगात्री सीट से विधानसभा चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचें।
कार्यकर्ताओं ने उनको पत्र सौंपकर यह इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि वे जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर उनको गंगोत्री सीट से चुनाव लड़ने का सुझाव देंगे। कौशिक ने कहा कि मुख्यमंत्री के हामी भरने के साथ स्थानीय भाजपा नेता और कार्यकर्ताआ पूरी तरह से चुनाव की तैयारियों में जुट जाएंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रिकाॅर्ड मतों से चुनाव में जीत हासिल करेंगे। इससे पहले कोटद्वार विधायक और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, बद्रीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट, भीमताल विधायक रामसिंह कैड़ा समेत सात विधायक मुख्यमंत्री के लिए अपनी विधानसभा सीट को छोड़ने की पेशकश कर चुके हैं। तीरथ रावत से पहले चार सांसद उत्तराखंड के सीएम बन चुके हैं। इनको विधानसभा सदस्य बनने के लिए बाद में उपचुनाव लड़ना पड़ा था। इस परंपरा की शुरुआत 2002 में तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी ने की थी।
वह नैनीताल से लोकसभा के सांसद थे। सीएम बनने के बाद उन्होंने रामनगर विधानसभा सीट से उपचुनाव जीता था। इसी तरह पौड़ी गढ़वाल से ही सांसद रह चुके भुवन चंद्र खंडूड़ी राज्य का सीएम बनने के बाद धूमाकोट से विधायक बने। इसके बाद टिहरी से सांसद विजय बहुगुणा जब कांग्रेस की ओर से सीएम बने तो उन्होंने सितारगंज से विधानसभा का चुनाव जीता था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत जब सीएम बने तब उन्होंने धारचूला से विधानसभा का चुनाव जीता था। उनके लिए पार्टी के ही विधायक हरीश धामी ने सीट छोड़ी थी।
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