हरिद्वार। गंगा नदी में हरिद्वार स्थित चंडी पुल से नीचे सिल्ट हटाने के संदर्भ में जारी किया जा रहा है। गंगा नदी में लगातार जमा हो रहे सिल्ट (river bed material) के कारण नदी प्रवाह बाधित हो रहा है, जिससे चंडी पुल के नीचे कनखल और हरिद्वार के अन्य हिस्सों में कटाव का गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
सिल्ट हटाने की आवश्यकता:
1. नदी प्रवाह को बनाए रखना:
गंगा नदी में जमा सिल्ट नदी के प्रवाह को बाधित करता है, जिससे नदी के किनारों पर कटाव और बाढ़ जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
2. कटाव से बचाव:
चंडी पुल से नीचे के क्षेत्र में सिल्ट जमा होने के कारण कटाव का खतरा बढ़ गया है। पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने इस क्षेत्र में कटाव से बचाव हेतु दैवीय आपदा मद से धनराशि की मांग जिलाधिकारी हरिद्वार से की थी।
3. गंगा नदी में बाढ़ से बचाव:
गंगा नदी में प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ के कारण श्यामपुर कांगड़ी, लक्सर क्षेत्र सहित अन्य स्थानों पर भारी तबाही होती है। वर्ष 2023 में बाढ़ से इन क्षेत्रों में भीषण आपदा आई थी, जिसके कारण दैवीय आपदा एवं अन्य मदों से शासकीय धनराशि का व्यय हुआ। सिल्ट हटाने का उद्देश्य इन आपदाओं से बचाव और शासकीय धन की बचत करना है।
4. समिति की सिफारिश:
उत्तराखंड शासन की नीति के तहत उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति ने इस क्षेत्र में सिल्ट की सफाई के लिए छह स्थान चिन्हित किए थे। विशेषज्ञों की राय और तकनीकी सिफारिशों के आधार पर यह निर्णय लिया गया।
5. रिवर ड्रेजिंग नीति 2021 के तहत कार्य आदेश:
सिल्ट हटाने का कार्य उत्तराखंड की रिवर ड्रेजिंग नीति, 2021 के अंतर्गत किया गया है। इस नीति का उद्देश्य गंगा नदी के प्रवाह को सुधारना, जलस्त्रोतों की सुरक्षा करना और नदी के आसपास के क्षेत्र को बाढ़ व कटाव से बचाना है।
नीति के अनुसार, सिल्ट हटाने के लिए उचित तकनीकी प्रक्रिया अपनाई गई है।
इस कार्य के लिए चयनित फर्मों को उत्तराखंड में निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में इस सामग्री का उपयोग करने की अनुमति दी गई है।
कतिपय संस्थाओं और व्यक्तियों के विरोध पर प्रतिक्रिया:
कतिपय संस्थाओं और व्यक्तियों ने गंगा नदी के इस क्षेत्र से सिल्ट हटाने का विरोध किया है और इसे कुंभ क्षेत्र के अंतर्गत बताते हुए उच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला दिया है।
हाईकोर्ट के संदर्भ:
इन संस्थाओं और व्यक्तियों ने उच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला दिया है, जिनमें गंगा नदी से अवैध खनन पर रोक लगाई गई थी।
यह स्पष्ट किया जाता है कि चंडी पुल के नीचे जिस क्षेत्र में सिल्ट हटाने का कार्य किया जा रहा है, वह तकनीकी और पर्यावरणीय परीक्षणों के बाद चिन्हित किया गया है।
उच्च न्यायालय के आदेश दिनेश चंदोला बनाम उत्तराखंड शासन एवं अन्य संबंधित मामलों का संज्ञान लिया गया है।
6. उच्च न्यायालय के मुख्य स्थायी अधिवक्ता की सलाह:
उच्च न्यायालय के मुख्य स्थायी अधिवक्ता द्वारा प्राप्त पत्र में इस मुद्दे पर जो भी कानूनी सलाह दी गई है, उसका संज्ञान लेते हुए ही यह कार्य किया गया है।
यह सुनिश्चित किया गया है कि गंगा नदी के प्रवाह और उसके धार्मिक महत्व को कोई क्षति न पहुंचे।
कार्य प्रक्रिया और आदेश उच्च न्यायालय की सलाह और नीतिगत दिशानिर्देशों के अनुरूप हैं।
निष्कर्ष:
हरिद्वार जैसे धार्मिक और पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र में गंगा नदी की स्वच्छता और प्रवाह बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। यह कार्य न केवल गंगा की स्वच्छता सुनिश्चित करता है, बल्कि हरिद्वार क्षेत्र की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।
यह उत्तराखंड शासन की रिवर ड्रेजिंग नीति, 2021, विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों, और उच्च न्यायालय के मुख्य स्थायी अधिवक्ता की कानूनी सलाह के अनुरूप किया गया है।
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