योग-आयुर्वेद अपनाना होगा निरामय तन-मन के लिए: आचार्य बालकृष्ण

Jalta Rashtra News

शुद्ध आहार एवं पवित्र विचार, स्वास्थ्य का मुख्य आधार: डाॅ. नागेन्द्र

जीवन को सुरक्षित रखने में आयुर्वेद चिकित्सा प्रभावी: वैद्य कपूर

हरिद्वार।

पतंजलि विश्वविद्यालय में आयोजित योग सप्ताह के चौथे दिन कई मूर्धन्य विद्वानों सहित पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण जी का उद्बोधन हुआ।

योग विभाग के सहायक प्राध्यापक डाॅ. नरेन्द्र सिंह ने मनोशारीरिक शोधन एवं सत्त्व की अभिवृद्धि के लिए यौगिक षट्कर्म के महत्त्व को समझाया।  विश्वविद्यालय की सहायक आचार्या श्रीमती आरती पाल ने अपने व्याख्यान में आधुनिक शिक्षा में योग व अध्यात्म के सूत्रों को समाहित करने की बात कही।  प्राकृतिक चिकित्सा, योग, पंचकर्म अनुसंधान संस्थान-योगग्राम के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं अनुभवी प्राकृतिक चिकित्सक डाॅ. नागेन्द्र कुमार नीरज जी ने वेबिनार को सम्बोधित करते हुए कहां कि चिकित्सा प्रविधि के रूप में योग, आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा को प्रभावी बताया।

स्वामी विवेकानन्द योग अनुसंधान संस्थान, सिंगापुर के प्रबन्ध निदेशक  मनोज ठाकुर  ने वैश्विक परिपे्रक्ष्य में व्यवसायिक योग के परिदृश्य पर प्रकाश डाला।

योग एवं आयुर्वेद चिकित्सा से करोड़ों लोगों को सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करने वाले आयुर्वेद के मर्मज्ञ एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्वान् कुलपति आचार्य बालकृष्ण जी ने योग एवं आयुर्वेद को संस्कृति का मूल बताते हुए कहा कि यह पद्धति रोग के निराकरण के साधन के साथ ही जीवन की सात्विकता को बढ़ाने एवं विकारों से रहित करने की साधना पद्धति है। पतंजलि के अनुसंधान का संदर्भ देते हुए उन्होंने बताया कि नियमित योग करने वाले को कोरोना से होने वाले भय के स्तर में कमी पाई गयी। संगोष्ठी से जुड़े विद्वानों एवं प्रतिभागियों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि योग से जुडकर ही हम शारीरिक क्षमताओं के साथ मनोबल को बढ़ाकर अपने-अपने क्षेत्र में सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

पर्यटन विभाग के सहायक आचार्य डाॅ. आदित्य भार्गव जी ने जीवन प्रबन्धन विषय पर अपने विचार रखे।

कार्यक्रम के मध्य में एम. ए. योग विज्ञान के प्रतिभावान छात्र अजय वर्मा ने स्केटिंग योग का शानदार प्रदर्शन कर प्रतिभागियों का स्वस्थ मनोरंजन किया। कार्यक्रम संचालन योग विभाग के सहायक आचार्य डाॅ. संदीप सिंह ने किया तथा आयोजन सचिव स्वामी परमार्थदेव जी ने इस परिचर्चा से जुड़े प्रतिभागियों को महत्त्वपूर्ण मार्गदर्शन देते हुए अधिक-से-अधिक लोगों को इस योग सप्ताह से जुड़ने हेतु प्रेरित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ0 पुनिया जी, संकायाध्यक्ष डाॅ. कटियार जी, परीक्षा नियन्त्रक श्री पाण्डेय जी सहित कई आचार्य, कर्मयोगी, संन्यासी आदि जुड़े रहे।

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