कोरोना जांच का सारा घोटाला सचिवालय स्तर के अधिकारियों की देखरेख में हुआः शर्मा
हरिद्वार।
वरिष्ठ पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष शर्मा ने महाकुंभ में हुए कोरोना जांच घोटाले को लेकर कई नए रहस्योद्घाटन किए हैं। उन्होंने पत्रकारों के समक्ष कई दस्तावेजी सुबूत रखते हुए खुलासा किया कि यह सारा घोटाला सचिवालय स्तर के अधिकारियों की देखरेख में किया गया साथ ही त्रिवेंद्र रावत सरकार को बदनाम करने के लिए अधिकारियों ने संबंधित दस्तावेजों में कोर्ट संरचना भी की। उन्होंने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि सरकार को इस पर कड़े कदम उठाने चाहिए।
कोरोना जांच घोटाले से संबंधित कहीं दस्तावेजों को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता और वरिष्ठ पत्रकार सुभाष शर्मा सोमवार को मामले के जांच अधिकारी डॉ सौरभ गहरवार से मिले और उन्हें कई दस्तावेजी साक्ष्य सोंपे।
बाद में पत्रकारों से वार्ता करते हुए सुभाष शर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ फोटो सोशल मीडिया पर प्रसारित करने वाले मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज कंपनी के मालिक शरद पंत और उनकी पत्नी मल्लिका पंत की फर्म को कोरोना जांच की जिम्मेदारी नियमों को ताक पर रखते हुए दी गई जबकि उनके पास कोई लैब नहीं थी। इसके लिए 12 मार्च 2021 को टेंडर हुआ था। लेकिन अनुबंध वाले कागज में ओवर राइटिंग कर मेले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी ने 12 मार्च को 12 जनवरी कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह ओवर राइटिंग केवल इसलिए की गई ताकि मौजूदा मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के कार्यकाल को बचाया जा सके और सारा ठीकरा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल पर फोड़ा जा सके। सुभाष शर्मा ने बताया कि उन्होंने सीडीओ को इससे संबंधित दस्तावेज भी पेश किए है। उन्होंने कहा कि टेंडर मिलने के बाद मैक्स ने लालचंदानी और नालवा लैब को कोरोना जाँच का काम सौंप दिया। नालवा लैब ने भी एक तीसरी कंपनी डेल्फिया से मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की जांच कराई। जबकि इस कंपनी के पास कोरोना जाँच करने का कोई लाइसेंस नही है। मैक्स कंपनी के मालिक शरत पंत ने जिन बड़े नेताओं और मंत्रियों के साथ फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर डाले है, उन नेताओं ने भी माामले में चुप्पी साधी हुई है। हरिद्वार सीडीओ को उन्होंने इस घोटाले से संबंधित कई दस्तावेज सौंपे है। उन्हें यकीन है कि जांच सही दिशा में जाएगी। सुभाष शर्मा ने आरोप लगाया कि सचिवालय में तैनात तीन वरिष्ठ अधिकारियों की भी इस पूरे मामले में संदिग्ध भूमिका है उनकी भूमिका की भी जांच कराई जानी चाहिए ।
उन्होंने कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत की इस पूरे प्रकरण में भूमिका की सराहना की उन्होंने कहा कि पहला प्रार्थना पत्र मिलते ही दीपक रावत ने यह कहते हुए कि पहला प्रार्थना पत्र मिलते ही दीपक रावत ने यह कह कर कि कुंभ मेला विपरीत परिस्थितियों में हो रहा है इसलिए जांच संबंधित मामले सचिवालय स्तर पर ही देखे जाने चाहिए उन्होंने अपने स्तर से पल्ला झाड़ लिया था। अधिकारी की भी इस मामले में अहम भूमिका है, उनकी भी जाँच की जानी चाहिए। सुभाष शर्मा ने कहां की है केवल आर्थिक घोटाला नहीं है बल्कि है लोगों की जिंदगी से जुड़ा हुआ मामला है इससे न केवल अनेकों लोगों की जान गई बल्कि हरिद्वार के सांसद भी संक्रमित हो गए उन्होंने सरकार से इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने की मांग की ।
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