September 10, 2025

हिमालय दिवस पर विशेष: अब हिमालय की साँसों को सुरक्षित करें

*☘️हिमालय दिवस पर विशेष*

*🌳अब हिमालय की साँसों को सुरक्षित करें*

*🌏हिमालय स्वस्थ तो भारत मस्त*

*💥हिमालय की रक्षा ही भविष्य की पीढ़ियों की साँसों की रक्षा*

ऋषिकेश, 9 सितम्बर। भारत की संस्कृति और सभ्यता की जड़ें हिमालय से जुड़ी हुई हैं। हिमालय केवल बर्फ से ढकी पर्वतमालाएँ नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है। यही वह पावन धरती है जहाँ से जीवनदायिनी नदियाँ बहकर करोड़ों लोगों को जल प्रदान करती हैं। यही वह स्थली है जहाँ ऋषियों ने तप किया, योग और ध्यान, साधना और सनातन संस्कृति से जोड़ती है। आज हिमालय दिवस दिवस पर अपनी साँसों, अपने भविष्य और अपनी संस्कृति को सुरक्षित करने का संकल्प ले।

हिमालय, ऋषियों की तपोभूमि है। हिमालय, जीवन का आधार हैं। हिमालय का महत्त्व केवल भूगोल या पर्यावरण तक सीमित नहीं है। यह हमारे लिए एक जीवित तीर्थ है। हिमालय हमें शुद्ध वायु प्रदान करता है, यह एक विशाल ऑक्सीजन बैंक हैै। साथ ही यह हमें ध्यान, साधना और मोक्ष की ऊर्जा देता है, अर्थात् यह आध्यात्मिक बैंक भी है इसीलिए यदि हिमालय स्वस्थ रहेगा तो भारत भी स्वस्थ और मस्त रहेगा।

वर्तमान समय में पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण की गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं और वनों की कटाई से जैव विविधता संकट में है। यदि हिमालय अस्वस्थ हो गया तो इसका सीधा असर भारत के करोड़ों लोगों के जीवन पर पड़ेगा। आने वाली पीढ़ियों को न शुद्ध जल मिलेगा, न स्वच्छ वायु और न ही वह आध्यात्मिक वातावरण जो ध्यान और समाधि का आधार है इसलिए हिमालय की रक्षा करना केवल पर्यावरण का प्रश्न नहीं है, यह हमारे अस्तित्व, हमारी संस्कृति और हमारी अगली पीढ़ियों की सुरक्षा का प्रश्न है।

हिमालय दिवस हमें संदेश देता है कि हमारी जिम्मेदारी केवल प्रकृति का आनंद लेने की नहीं, बल्कि उसकी रक्षा करने की भी है। हमें वनों को बचाना होगा, नदियों को निर्मल रखना होगा और हिमालय की गोद को प्रदूषण व विनाश से मुक्त करना होगा।

हिमालय दिवस का संदेश यही है कि हमें प्रकृति और संस्कृति से जुड़े रहना है। हमें आधुनिकता को अपनाते हुए भी अपनी जड़ों से जुड़े रहना है। आज आवश्यकता है कि हम सब मिलकर संकल्प लें कि हम हिमालय की रक्षा करें। हम अपनी जीवनशैली को प्रकृति-अनुकूल बनाएँ, हम प्रदूषण को कम करें और हम पेड़ों, नदियों तथा पहाड़ों को जीवित तीर्थ मानकर उनका संरक्षण करें।

जब हम सब मिलकर यह संकल्प लेंगे तो निश्चित ही हिमालय पुनः अपनी पूरी शक्ति और पवित्रता के साथ हमें जीवन प्रदान करेगा। तब भारत की नदियाँ निर्मल होंगी, वायु शुद्ध होगी और समाज और अधिक आध्यात्मिकता से युक्त होगा।