देहरादून। उत्तराखंड में तीन दिनों तक चले जल प्रलय के कारण अबतक प्रदेश में 64 लोगों की जान जा चुकी है जबकि कई लोग अभी भी लापता बताया जा रहे हैं। जिससे आगे मौतों का आंकड़ा बढ भी सकता है। उत्तराखंड में इस भीषण त्रासदी के निशान अगले महीनों तक देखे जाएंगे। इन तीन दिनों में प्रदेश को अब तक 5 हजार करोड़ से ज्यादा नुकसान हो चुका है। अलग-अलग जगहों पर भूस्खलन, जलभराव और संपर्क मार्ग टूटने के अलावा अन्य कई तरह के नुकसान देखने को मिले हैं। कई जगह पर छोटे पुल पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं। वहीं, कई बड़े पुल भी क्षतिग्रस्त हुए हैं जो कि प्रदेश के लिए बड़ा नुकसान हैं। जनहानि की बात करें तो सबसे ज्यादा नैनीताल जिले में 30 मौतें अब तक रिपोर्ट की गई हैं।
इस तरह से पूरे प्रदेश में केवल 3 दिनों के भीतर 64 लोग काल के गाल में समा गए हैं। वहीं, कुमाऊं समेत पूरे प्रदेश में तीन दिन की बारिश ने कहर बरपाया है। इससे प्रदेश में काफी नुकसान भी हुआ है। सीएम धानी ने बताया कि उत्तराखंड आपदा में करीब 5 हजार करोड़ रुपए के नुकसान का आकलन सामने आया है। सड़कों के बाद दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा फसलों को नुकसान हुआ है। यह मौसम फसलों के ढुलान का मौसम था। इस समय कई हजारों कुंतल अनाज मंडियों में खुला रखा था। अचानक आई इस बेमौसमी बारिश ने संभलने तक का मौका नहीं दिया, जिसके बाद मंडियों में रखा अनाज ही नहीं बल्कि खेतों में तैयार फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा सटीक नुकसान कितना हुआ है, इसको लेकर राजस्व विभाग और तमाम संबंधित विभागों के अधिकारियों को हालात सामान्य होते ही जल्द ही फील्ड पर भेजा जाएगा। उसके बाद सटीक आकलन किया जाएगा। कई पहाड़ी जनपदों के साथ-साथ मैदानी जनपदों में पेयजल लाइनों को भी नुकसान हुआ है। वहीं विद्युत लाइनें भी कई जगह पर क्षतिग्रस्त हुई हैं, जिनको लेकर डाटा कलेक्ट किया जा रहा है।
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