November 22, 2024

शिक्षा अधिकारी कुलदीप गैरोला द्वारा लिखित पुस्तक ’’नेतृत्व की डोर, सफलता की ओर’’ का विमोचन

देहरादून। शिक्षा अधिकारी कुलदीप गैरोला द्वारा लिखित पुस्तक ’’नेतृत्व की डोर, सफलता की ओर’’ का विमोचन शनिवार को ग्राफिक ऐरा हिल यूनिवर्सिटी के सभागार में आई.पी.एस. तृप्ति भट्ट, आयुष भट्ट आई0आर0एस0, बंशीधर तिवारी, आई0ए0एस0, सीमा जौनसारी, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, आर0 के0 कुंवर निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, डॉ0 आर0डी0 शर्मा, राम कृष्ण उनियाल, विरेन्द्र सिंह रावत, लीलाधर व्यास अपर निदेशक और विभिन्न जनपदों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों, अध्यापकों और एस0सी0ई0आर0टी0 के अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया। सभी ने पुस्तक की सफलता की कामना की। यह पुस्तक नेतृत्व और प्रबंधन के महीन लेकिन महत्वपूर्ण अंतर की व्याख्या करती है, हमारे आस-पास से नेतृत्व के कुछ बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करती लेखक कुलदीप गैरोला की यह पुस्तक-नेतृत्व की डोर, सफलता की ओर, परिवार, सामाजिक प्रतिष्ठान, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, शिक्षा प्रतिष्ठान और राजनीतिक प्रतिष्ठान सबसे जुड़े हितधारकों का मार्गदर्शन करती है।

पुस्तक का केन्द्र बिन्दु हर व्यक्ति में विद्यमान नेतृत्वकर्ता को सफलता हेतु प्रेरित करना है। इस पुस्तक में नेतृत्व के 50 गुणों पर चर्चा की गयी है। जोकि उदाहरणों के माध्यम से विश्वास जगाते हैं। पुस्तक में नई शुरुआत करना, त्रुटि स्वीकारना, निंदा सहन करना, सबका साथ लेना, संकल्पित मन, गुणवान को संख्या से अधिक महत्व देना, प्रकृति से नेतृत्व करना सीखना, ब्राण्ड बनना और बनाना जैसे गुणों पर आधारित पाठ हैं। किताब में नेतृत्व और प्रबंधन को दर्शाते बहुत ही दिलचस्प उदाहरण और खूबसूरत उद्धरण दिए गए हैं। रामायण, रामचरितमानस, महाभारत, अथर्वेद, पतंजली योग सूत्र, कबीर, दिनकर, टैगोर, उर्दू और अंग्रेजी साहित्य से उद्धरण और ऐसे ही अनेक लेखकों, कवियों और सफल व्यक्तियों की रचनाओं और बातों को प्रस्तुत कर लेखक ने नेतृत्व को बहुत उम्दा तरीके से व्याख्यायित किया है। पुस्तक में यथोचित ढंग से प्रबन्धन एवं नेतृत्व को स्पष्ट करने में खेल, खिलाड़ी और विशेषकर क्रिकेट खिलाड़ियों के नेतृत्व और धैर्य से सम्बंधित उदाहरण दिए गए हैं। आगे बढ़कर नेतृत्व करने के बेहतरीन उदाहरण के रूप में लेखक ने 1983 विश्व कप में भारतीय क्रिकेट कप्तान कपिल देव की जिम्बाब्वे के विरुद्ध 138 गेंदों पर 16 चौके और 6 छक्कों के साथ खेली गई नाबाद 175 रनों की पारी का जिक्र किया है। कपिल जब खेलने आये तब भारत 17 रन पर 5 विकेट खो चुका था। निश्चित ही इस बेमिसाल पारी ने पूरी टीम को ऐसे उत्साह से भर दिया कि भारत ने तब की दुर्जेय टीम वेस्टइंडीज को फाइनल में हरा कर विश्व कप पहली बार अपने नाम किया।