भारतीय वायु सेना दिवनभः स्पृशं दीप्तम् “आकाश को गौरव के साथ छूओ”*देश की सेवा सर्वोच्च धर्म
स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
आधुनिक हिन्दी साहित्य अग्रज मुंशी प्रेमचन्द जी की पुण्यतिथि पर नमन*
कार्तिक माह श्रद्धा, संयम, साधना और समर्पण का अवसर*
सिख पंथ के चतुर्थ गुरु, गुरु साहिब श्री गुरु रामदास जी महाराज के पावन प्रकाश पर्व की सिख बंधुओं को हार्दिक बधाई*
उनकी प्रेरणादायक शिक्षाएं युग-युगांतर तक मानव कल्याण, परोपकार और सभ्य समाज के निर्माण की अमिट ज्योति को प्रज्वलित करती रहें
ऋषिकेश। आज का दिन पूरे देश के लिये गर्व और सम्मान का दिन है आज भारतीय वायु सेना दिवस है। यह दिन हमारे आकाश के रक्षकों के साहस और समर्पण को सम्मानित करने का अवसर है परमार्थ निकेतन से सेना के साहस, समर्पण और राष्ट्रभक्ति को नमन।
भारतीय वायु सेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को हुई थी, और तब से लेकर आज तक यह बल भारत की सीमाओं की रक्षा के साथ अनेक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में डट कर सामना कर अपनी भारतमाता को सुरक्षा प्रदान करते हंै। चाहे युद्ध की स्थिति हो, सीमा पर सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाना हो, या प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्य करना हो भारतीय वायु सेना हर मोर्चे पर अपनी उत्कृष्टता का परिचय देती रही है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारतीय वायु सेना का ध्येय वाक्य नभः स्पृशं दीप्तम् – “आकाश को गौरव के साथ छूओ” दृ वास्तव में आज देश आकाश को भी छू रहा है और पूरे विश्व को भी प्रभावित कर रहा है। भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश केवल आकाश की ऊँचाइयाँ ही नहीं, बल्कि विश्व पटल पर भी हर ऊँचाई को छू रहा है।
स्वामी जी ने कहा कि जब देश का नेतृत्व सच्चाई और सफाई के साथ कार्य करता है तो देश ऊँचाईयों तक पहुंचता हैं।
वायु सेना के जवानों का समर्पण और साहस हर भारतीय के हृदय में गर्व और श्रद्धा का भाव जगाता है। उनकी निष्ठा और अनुशासन यह सुनिश्चित करते हैं कि देश की आकाश सीमा हर समय सुरक्षित रहे। युद्ध की कठिन परिस्थितियों में उनके अदम्य साहस और रणनीतिक कुशलता ने न केवल राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित की है, बल्कि भारत के गौरव और मान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊँचा किया है।
प्राकृतिक आपदाओं के समय भारतीय वायु सेना की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है। बाढ़, भूकंप, चक्रवात, भूस्खलन जैसी आपदाओं में वे हवाई मार्ग से राहत सामग्री, भोजन, दवा और जीवनरक्षक उपकरण पहुँचाते हैं। दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में फंसे लोगों तक पहुँचने के लिए वायु सेना द्वारा चलाए गए अभियान अनेक जीवनों को बचाने में सहायक रहे हैं। उनके ये प्रयास केवल सैन्य कार्य नहीं हैं, बल्कि मानवीय सेवा की अनमोल मिसाल हैं।
परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज का दिवस हमें उन वीर सपूतों की याद दिलाता है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उनके साहस, त्याग और समर्पण की गाथाएँ हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। यह दिन हमें यह स्मरण कराता है कि स्वतंत्रता और सुरक्षा केवल अधिकार नहीं हैं, बल्कि उन्हें बनाए रखने के लिए अनेकों वीरों का बलिदान और परिश्रम समर्पित रहा है। इन अमर वीरों को नमन करते हुए हम उनके परिवारों के प्रति भी अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित किया।
भारतीय वायु सेना न केवल आधुनिक हथियारों और अत्याधुनिक तकनीक के कारण विश्व में प्रतिष्ठित है, बल्कि उनके अनुशासन, पेशेवर कौशल और राष्ट्रभक्ति के कारण सम्मानित है। उनकी उत्कृष्टता ने यह सिद्ध किया है कि भारतीय वायु सेना न केवल सुरक्षा बल है, बल्कि यह राष्ट्र की सुरक्षा, अखंडता और सम्मान की गारंटी भी है।
स्वामी जी ने कहा कि वायु सेना के अधिकारी और जवान सीमाओं पर सतत प्रहरी की तरह खड़े रहते हैं। उनकी कठिन ट्रेनिंग, अदम्य साहस और समर्पण के कारण ही हम निश्चिंत होकर अपना दैनिक जीवन जी सकते हैं। भारतीय वायु सेना का यह अद्वितीय योगदान हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है।
भारतीय वायु सेना के प्रति श्रद्धा और सम्मान हर भारतीय के हृदय में अडिग रहेगा। उनके साहस, समर्पण और बलिदान की कहानियाँ न केवल इतिहास की किताबों में जीवित रहेंगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेंगी। यह दिवस हमें यह भी स्मरण कराता है कि राष्ट्र की सुरक्षा केवल सैनिकों के बल पर नहीं, बल्कि पूरे समाज के सहयोग और समर्थन पर भी निर्भर करती है।
आज का दिन हमें गर्व, श्रद्धा और प्रेरणा का संदेश देता है। भारतीय वायु सेना ने हमेशा यह साबित किया है कि देश की सेवा सर्वोच्च धर्म है और आकाश की सीमाओं की रक्षा हर भारतीय का गौरव है।
आज हम आधुनिक हिन्दी साहित्य के महान शिल्पी, मुंशी प्रेमचन्द जी को उनकी पुण्यतिथि पर नमन करते हैं। उनकी कहानियों और उपन्यासों ने समाज की असमानताओं, गरीबी और मानवता के संदेश को शब्दों में जीवित किया। उनका साहित्य आज भी मार्गदर्शन और प्रेरणा का स्रोत है, और उनके विचार हर भारतीय के हृदय में अमर हैं।
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