नयी दिल्ली।
दिल्ली सरकार ने शनिवार को दावा किया कि केंद्र ने राष्ट्रीय राजधानी में 72 लाख राशन कार्ड धारकों को लाभान्वित करने वाली उसकी महत्वाकांक्षी राशन योजना को ‘‘रोक दिया’’ और उसने इस कदम को ‘‘राजनीति से प्रेरित’’ बताया। हालांकि, केंद्र सरकार ने आरोपों को आधारहीन करार दिया है। केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा कि दिल्ली सरकार जिस तरह चाहे राशन वितरण कर सकती है और उसने दिल्ली सरकार को ऐसा करने से नहीं रोका है। बयान के मुताबिक, वे किसी अन्य योजना के अंतर्गत भी ऐसा कर सकते हैं। भारत सरकार अधिसूचित दरों के अनुसार इसके लिए राशन उपलब्ध कराएगी। ऐसा कहना बिल्कुल गलत होगा कि केंद्र सरकार किसी को कुछ करने से रोक रही है। इसके मुताबिक, केंद्र सरकार दिल्ली को अतिरिक्त राशन प्रदान करने को भी तैयार है, फिर दिल्ली सरकार उसे जिस तरह चाहे वितरित करे। केंद्र सरकार किसी भी जन कल्याणकारी योजना से नागरिकों को क्यों वंचित करेगी? इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने दावा किया कि उपराज्यपाल ने प्रस्ताव को खारिज नहीं किया है जैसा दिल्ली सरकार द्वारा ‘‘चित्रित’’ किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘निजी विक्रेताओं के माध्यम से लागू की जाने वाली योजना की अधिसूचना से संबंधित फाइल को उपराज्यपाल ने पुनर्विचार के लिए मुख्यमंत्री को लौटा दिया है।’’ मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने कहा कि सरकार अगले कुछ दिनों में योजना शुरू करने के लिए तैयार थी। सीएमओ ने एक बयान में दावा किया कि उपराज्यपाल ने दो जून को यह कहते हुए फाइल वापस कर दी कि योजना को लागू नहीं किया जा सकता है। उसने कहा, ‘‘उपराज्यपाल ने दो कारणों का हवाला देते हुए राशन को घर-घर तक पहुंचाने संबंधी योजना के कार्यान्वयन के लिए फाइल को खारिज कर दिया है – एक तो केंद्र ने अभी तक योजना को मंजूरी नहीं दी है और दूसरा अदालत में मामला चल रहा है।’’ दिल्ली के खाद्य मंत्री इमरान हुसैन ने हालांकि दावा किया कि कानून के मुताबिक इस तरह की योजना शुरू करने के लिए किसी मंजूरी की जरूरत नहीं है।
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